सन 1950 ई. मे वैज्ञानिक आइंस्टीन ने (प्लाक के क्वाण्टम सिद्धात उपयोग करके ) प्रकाश की कण प्रकति का अध्ययन किया | और क्वाण्टम सिद्धात का प्रतिपादन किया | इस सिद्धान्त के अनुसार :-
* प्रकाश ऊर्जा के बंडलों या पकटो के रूप मे गमन करता है इन ऊर्जा के बंडलों या पकटो को क्वाण्टम या फोटोन कहते हैं |
* किसी एक फोटोन की ऊर्जा प्रकाश की आवृति के
E αv
E =hv जहा h = प्लाक नियतांक , v = प्रकाश की आवृत्ति
आइस्टीन के क्वांटम सिद्धांत से प्रकाश विधुत प्रभाव ,जिमन प्रभाव ,रमन प्रभाव तथा कॅाप्टन प्रभाव की सफल व्याख्या की गई परन्तु परावर्तन ,अपवर्तन ,व्यतिकरण ,विवर्तन तथा धुर्वण की व्याख्या नहीं की जा सकी |
हम बोल सकते है की प्रकाश की दो प्रकृति होती है अथार्त प्रकाश कणो के रूप में चलने के साथ साथ तरगो के रूप में भी सचरित होता है | अत प्रकाश की सभी घटनाओ का अध्ययन करने के लिए विधुत चुम्बकिय तरग सिद्धांत तथा फोटोन दोनो का अध्ययन आवश्यक है|
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