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तरंग प्रकाशिकी :-   

  प्रकाश  की प्रकति को समझाने के लिए समय -समय पर वैज्ञानिको ने भिन्न -भिन्न सिद्धांत दिए जो निम्न है :-
  

  * न्यूटन का कणिका सिद्धांत :-

1675 ई में महान वैज्ञानिक सर आइजक न्यूटन ने प्रकाश की कण प्रकृति का अध्ययन किया और कणिका सिद्धांत का प्रतिपादन किया | इस सिद्धांत के अनुसार -

* प्रत्येक कण स्रोत अत्यन्त छोटे कणो से मिलकर -मिलकर बना होता है जिन्ह कणिका कहते है | 

*यह कणिकाऐ प्रकाश के वेग से एक सीधी रेखा में चलती है| 

*एक ही माध्यम में सभी स्थानो पर कणिकाओं का वेग समान होता है और माध्यम बदलने पर कणिकाओं का वेग भी बदल जाता है 

*दो माध्यम को अलग-अलग करने वाले तल पर कणिकाओं के ऊपर आकर्षण अथवा प्रतिकर्षण बल लगता है जिसेस वेग तथा दिशा बदल जाती है | 

* भिन्न -भिन्न रगों की कणिकाओं का आकार भी  भिन्न -भिन्न होता है | 

*यह कणिका हमारी आँख की रेटिना से टकराती है और हमे वस्तुऐ दिखाई देती है | 


न्यूटन का कणिका सिद्धांत से परावर्तन तथा अपवर्तन की सफल व्याख्या की गई परन्तु व्यतिकरण ,विवर्तन तथा धुवण की व्याख्या नहीं की जा सकी | 

हाइगेन्स का तरग सिद्धांत :-

सन 1678 ई में वैज्ञानिक हाइगेन्स ने प्रकाश की तरग प्रकृति का अध्ययन किया और तरग सिद्धांत का प्रतिपादन किया | इस सिद्धांत के अनुसार -
*प्रकाश अनुदेर्य तरगो के रूप में एक सीधी रेखा के रूप में सचरित होता है | 
*नुदेर्य तरगो को सचरित होने के लिए सर्वेव्यापी कालपनिक माध्यम ईथर की कल्पना की जो भारहीन है तथा सभी पर्दाथो में प्रवेश करता है | 

इस सिद्धांत से परावर्तन -अपवर्तन,व्यतिकरण तथा विवर्तन की सफल व्याख्या की गई परन्तु  तथा धुवण प्रकाश विधुत प्रभाव ,जीमन प्रभाव ,रमन प्रभाव तथा कोप्टन प्रभाव  की व्याख्या नहीं की जा सकी | 


note -

फ्रेनल ने प्रकाश को अनुप्र्स्थ तरग माना जिससे धुवण की व्याख्या सम्भव हुई तथा फ्रेनल व फॉकहॉपर ने विवर्तन की व्याख्या दी | 

माइकल्सन तथा मोर्ले ना ईथर माध्यम की के लिए अनेक प्रयोग किए जिन्हे माइकल्सन मोर्ले प्रयोग कहते हैं | 

इन प्रयोगो से ईथर माध्यम की अनूपस्तिथि  का पता चलता है | 

प्रकाश के व्यतिकरण का प्रायोगिक प्रतिरूप सर्व प्रथम  वैज्ञानिक यंग ने प्राप्त किया जिसे यंग का दविेस्लट प्रयोग कहा जाता हैं | 

मैक्सवेल का विधुत चुंबकीय तरंग सिद्धांत =

सन 1873 ई , मे वैज्ञानिको मैक्सवेल प्रकाश की विधुत चुंबकीय तरंग प्रकति का अध्ययन किया और विधुत चुंबकीय तरंग सिद्धांत का प्रतिपादन किया | इस सिद्धांत के अनुसार :-

 *  विधुत चुंबकीय तरंगो को संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है इनकी निर्वात मे चाल होती हैं | 

*  विधुत चुंबकीय तरंगो की दिशा विधुत क्षेत्र तथा  चुंबकीय क्षेत्र के लंबवत होती हैं | 


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