विधुत बल रेखाए :-यह काल्पनिक रेखाए है जो विधुत क्षेत्र की तीव्रता की दिशा को प्रकट करती हैं | अथवा यह उस काल्पनिक पथ द्वारा निरूपित होती है जो धनावेशित कण एक समान विधुत क्षेत्र मे गति के दोहराने तय करता हैं |
यह धनावेश से प्रारंभ होती है तथा ऋणावेश पर समाप्त होती हैं |* विधुत बल रेखाओ का निर्माण :- 1. एकल धनावेश के कारण = :- धनावेश से प्रारंभ होती हैं | :- अनंत पर समाप्त होगी | :- गोलाकार विधुत क्षेत्र का निर्माण करती हैं | 2. एकल ऋणावेश के कारण = :- यह अनंत से प्रारंभ होती हैं | :- ऋणावेश पर समाप्त होती हैं | :- गोलाकार विधुत क्षेत्र का निर्माण करती हैं | 3. जब दो विपरीत प्रकति के आवेश परस्पर समीप उपस्थित हो = :-धनावेश से प्रांरभ होती है | :-ऋणावेश पर समाप्त होती है | :-बेलनाकार विधुत क्षेत्र का निर्माण होता है| :-यह लम्बाई के अनुदिश सकुंचित होती है | 4. जब दो समान प्रकृति के आवेश परस्पर समीप उपस्थित हो = :-यह धनावेश से प्रांरभ होती है | :-अनंत पर समाप्त होती है | :-एक दूसरे को प्रतिकर्षित करती है व परस्पर दाब आरोपित करती है |
विधुत बल रेखाओ के गुण :- *यह काल्पनिक रेखाएँ होती है | *यह धनावेश से ऋणावेश की ओर होती है | *यह विधुत क्षेत्र की तीर्वता को दर्शाती है | *यह बंद लूप नहीं बनती है | *यह लम्बाई के अनुदिश सकुचित होती है | *दो विधुत बल रेखाएँ एक दूसेर को परस्पर प्रतिछेद नहीं करती है यदि वे प्रतिछेद करेगी तो एक ही बिंदु पर विधुत क्षेत्र की तीर्वता की दिशा भिन्न-भिन्न हो जाएगी जो की सम्भव नहीं है |
0 Comments