बल आघूर्ण :- एक समान विधुत क्षेत्र में दिधुव्रे को घूमाने वाला कारक बल आघूर्ण कहलाता हैं |
अत दिधुव्रे पर कार्यरत कुल बल :-Ft=F1+F2 = -qe +qe Ft=0 निष्कर्ष :-अत विधुत दिधुव्रे पर कार्यरत कुल बल शून्य होता हैं | दिधुव्रे पर दो समान परिमाण तथा विपरीत किर्या रेखा पर 2 बल कार्यरत होते हैं जिन्हे " बल युग्म " कहते हैं |
यह बल युग्म दिधुव्रे को घुमाकर विधुत क्षेत्र (E) की दिशा में लाने का प्रयास करता है जिसे "बल आघूर्ण "कहते हैं |
बल आघूर्ण =बल का परिमाण ×दोनों बलो के मध्य की दुरी (qE ×Bc) *बल आघूर्ण एक सदिश राशि हैं | * बल आघूर्ण का मात्रक =PE = C ×M ×N /C =N ×M (न्यूटन ×मीटर )=जुल * बल आघूर्ण की दिशा =हमेशा P तथा E के तल के लंबवत
(टाउ ) बल आघूर्ण की दिशा
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