*विधुत विभव :-
विधुत क्षेत्र में किसी एकाक धनावेश को अनंत से किसी बिंदु तक लाने में किया गये कार्य को विधुत विभव कहते है |
V = W/q0
*विधुत विभव का मात्रक =जुल /कुलाम या वोल्ट
*विधुत विभव में भी आध्यारोपण का सिद्धांत लगता है |
*विधुत विभव एक अदिश राशि है |
*विधुत क्षेत्र में किसी बिंदु पर विधुत विभव किसी धनात्मक परीक्षण आवेश को ,उसकी गतिज ऊर्जा में परिवर्तन किये बिना ,उस बिंदु से अनंत तक जाने में , विधुत क्षेत्र बल द्वारा किये गये कार्य तथा उस आवेश के परिमाण की निक्षप्ति के बराबर होता है अथवा विधुत क्षेत्र में किसी बिंदु पर विधुत विभव ,किसी धनात्मक परीक्षण आवेश को उसकी गतिज ऊर्जा में परिवर्तन किये बिना विधुत क्षेत्र की दिशा के विपरीत अनंत से उस बिंदु तक लाने में किसी बाहय स्रोत द्वारा किये गए कार्य तथा उस आवेश के परिमाण की निक्षप्ति के बराबर होता है |
नोट :- पृथ्वी का विधुत विभव 0 माना जाता है इसका कारण यह है की पृथ्वी चालक है |
* विधुत विभवांतर :-
एकाक धनावेश को विधुत क्षेत्र में एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक विस्थापित करने में किया गया कार्य उन दोनो बिन्दुओ के बीच विभवांतर कहलाता है |
V' - V '' = W /q०
*यह भी अदिश राशि है |
* इसका मात्रक = जुल /कुलाम होता है |
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