* चुम्बक :-
प्रकृति मे पाये जाने वाला लोहे का ऐसा अयस्क जो लौह , निकल , कोबाल्ट , को अपनी और आकर्षित करता है | उसे चुम्बक कहते है |
चुम्बक दो प्रकार का होता है |
(1). प्राकृतिक चुम्बक (2). कृत्रिम चुम्बक
* चुम्बक के गुण :-
(1 ). चुम्बक लोहा , निकल ,कोबाल्ट को अपनी ओर आकर्षित करती है |
(2 ). किसी चुम्बक को धागे मे बांधकर स्वतंत्रतापूर्वक लटका दिया जाए तो वह सदैव उत्तर -दक्षिण दिशा मे ठहरती है जो सिरा उत्तर दिशा मे होता है उसे उत्तरी धुर्वे तथा जो सिरा दक्षिण दिशा मे होता है उसे दक्षिणी धुर्व कहते है |
(3 ). किसी चुम्बक के सजाती धुर्वे एक दूसरे को प्रतिकर्षित करते है जबकि विजातीय धुर्वे आकर्षित करते है |
(4 ). किसी भी चुम्बक को कितने भी भागों मे विभाजित कर लिया जाए फिर भी प्रत्येक टुकड़ा अपने आप मे पूर्ण चुम्बक होता है |
* चुम्बकीय क्षेत्र :-
किसी चुम्बक अथवा धारावाही परिनालिका के चारों ओर का वह क्षेत्र जिसमे किसी चुम्बकीय सुई को लाने पर वह बल आघूर्ण का अनुभव करती है | उसे चुम्बकीय क्षेत्र कहते हैं |
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